तेरा नाम लिया करते हैं..हम तो बातों बातों में...
मेरे सपनों मैं तुम आतीं...अक्सर कर के रातों में...
वो तेरा घबरा जाना...और फिर से शरमा जाना...
धीरे से मुस्काना तेरा...हाथ लिया जब हाथों में...
कैसे भूलुगा वो मंज़र..हाथ छुडा कर भागीं थीं...
भीगे होंगे तेरे तन-मन...सावन की बरसातों मैं....
तेरी आँखों की वो भाषा...पढ़कर में कह सकता हूँ ...
तेरे दिल में मैं ही मैं हूँ... हूँ तेरे जज्बातों में...
ये तन तुझसे बिछुडा "दीपक"...पर मन तेरे पास ही है...
तुझको दे बैठे हैं दिल....उन छोटी मुलाकातों मे...
सात वचन चाहे थे तुमने ...सात रंग की दुनिया में....
एक वचन भी दे न पाया...मैं तुमको उन सातों में...
तेरा नाम लिया करते हैं..हम तो बातों बातों में...
मेरे सपनों मैं तुम आतीं...अक्सर कर के रातों में...
स-आदर ..
दीपक.....
5 comments:
hey deepak
awesome poems
n dis 1 realllyyyyy gr8.........
likhte rahiye....:)
सात वचन चाहे थे तुमने ...सात रंग की दुनिया में....
एक वचन भी दे न पाया...मैं तुमको उन सातों में...
kya khoob likha hai...........man ko choo gayi hai yeh rachna.........
bhut badiya...
a very nice poem
wich expressed romance in a very pure n beautiful manner
great work
सात वचन चाहे थे तुमने ...सात रंग की दुनिया में....
एक वचन भी दे न पाया...मैं तुमको उन सातों में...
sunder rachna ..
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