दीपक इस संसार में लूट सके तो लूट..
अँत समय पछताएगा, जब प्राण जायेंगे छूट.....
टुटपुँजिया बन कर नहीं, हक से माँगो आज...
भ्रष्टाचारी सब यहाँ, नेता, सेठ, समाज..
पत्रकार भी अब दिखें, नँगे हुये हमाम..
मोटी घूस वो माँगते, बदनामी का दाम...
कलम कैमरा भी चला, अब तो ऐसी राह..
खबरों से ज्यादा जहाँ, पैसे की है चाह...
अब तो इस संसार में, उसी का ऊँचा नाम...
भ्रष्टाचारी जो बडा, जितना जो बदनाम..
''लगे रहो भाईलोग.....ह्क से माँगो...अपना हिस्सा''.....
.........
***
अँत समय पछताएगा, जब प्राण जायेंगे छूट.....
टुटपुँजिया बन कर नहीं, हक से माँगो आज...
भ्रष्टाचारी सब यहाँ, नेता, सेठ, समाज..
पत्रकार भी अब दिखें, नँगे हुये हमाम..
मोटी घूस वो माँगते, बदनामी का दाम...
कलम कैमरा भी चला, अब तो ऐसी राह..
खबरों से ज्यादा जहाँ, पैसे की है चाह...
अब तो इस संसार में, उसी का ऊँचा नाम...
भ्रष्टाचारी जो बडा, जितना जो बदनाम..
''लगे रहो भाईलोग.....ह्क से माँगो...अपना हिस्सा''.....
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शुभ दिवस...
दीपक शुक्ल..
दीपक शुक्ल..
4 comments:
♥(¯`'•.¸(¯`•*♥♥*•¯)¸.•'´¯)♥
♥♥नव वर्ष मंगलमय हो !♥♥
♥(_¸.•'´(_•*♥♥*•_)`'• .¸_)♥
कलम कैमरा भी चला, अब तो ऐसी राह ।
खबरों से ज्यादा जहाँ, पैसे की है चाह ॥
बहुत सही लिखा आपने
दीपक शुक्ल जी !
अपनी लेखनी से ऐसे ही समाज को दिशा देते रहें ...
नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार
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parishthitiyon ka sahi vardan
एकदम सामयिक। बहुत बढियाँ।
jeevan jyoti jalay rahna
kalam sada yun hi chalay rahna.
aur pathakon ka utsah un hi baday rahna
jeevan ki gahraeyon ki tahyn khud hi khul jayrngi
prerna ki jyot sada jalay rahna,
apni kalam sada yun hi chalay rahna..
apni kalam sada.......
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