Tuesday, April 15, 2008

........माँ...........

सबसे मधुर है माँ का रिश्ता...
प्रभु ने इसे बनाया है...
तेरे उपकारों से उर्रिन...
कोई न हो पाया है...

अपनी खुशियाँ वार दीं तुने...
मैंने जब मुस्काया है...
अपना सुख मैं तज न पाया...
जब दुःख तुझ पर आया है...

अक्षर ज्ञान कराया तुने...
मुझको बहुत पढाया है...
मैंने तुझको छोड़ के ऐ माँ...
लक्ष्मी को अपनाया है...

अपनी हर इच्छा को तुझसे...
हठ करके मनवाया है...
पर वादा गर किया जो तुझसे...
उसको नहीं निभाया है....

ऊँगली पकड़ के ऐ माँ न तुमने...
चलना मुझे सिखाया है...
पर मैंने न हाथ ko thama ..
जब भी मौका आया है...

ममता के आँचल को ऐ माँ...
तुने सदा ही छाया है...
कितना निष्ठुर हूँ मैं फ़िर भी...
मुझको गले लगाया है...

सब कुछ मैंने चाह तुझसे...
कुछ भी न लौटाया है...
पलकों पर फ़िर भी माँ तुमने...
मुझको सदा बिठाया है...

बिछुदा कभी जो मैं माँ तुमसे...
तुमने नीर बहाया है...
जाने कितनी बार हे ऐ माँ...
तेरे ह्रदय दुखाया है....

ईश्वर ने अपने होने का...
यह अहसास कराया है....
माँ के रूप मैं देखो तो...
वह ख़ुद धरती पर आया है....

स-आदर...

दीपक शुक्ला

Monday, April 7, 2008

चाँद करवा चौथ का......

kya kahoon, kya na kahoon..main kahoon, ya chup rahoon..sochta hoon, main ye baitha..baat dil ki, kaise likhoon...shabd aise likh diye, ki...hum nihshabd se ho gaye...dil ka jo hai dard unka....dard main bhi wo sahoon...Unke jaane se gaya hai...maang ka sindur bhi...unki chuppi main chupi jo..cheekh na kaise sunoon...Vedna unki hamari...Vedna ban si gayee...Kaise baanten dard aisa..kaise main kuch kar sakoon..kya kahoon, kya na kahoon..kuch bhi na main to kar sakoon..hai yahi behtar ki "deepak"main to bas chup hi rahoon...hai yahi behtar ki "deepak"main to bas chup hi rahoon.

Tuesday, January 1, 2008

नव वर्ष मंगलमय हो....

ये वर्ष आठ (२००८) का
आज पहला दिवस है...
यह संग-साथ का ..
आज पहला दिवस है॥

नया वर्ष मंगल...
हो सबको यहाँ जो...
मिले सबको खुशियाँ...
वो चाहे जहाँ हो...

ये मेरी दुआ सब...
सदा मुस्कुराएँ...
हो दिल में ख़ुशी...
और सभी जगमगायें...

प्रफुल्लित से मन हों...
उलस्सित से तन हों...
सभी लोग चेतन....
आनंदित जीवन हो ...

जो भी मन में बसता हो॥
वो मिल ही जाये...
कोई दूसरा उसका...
दिल न लुभाए...

जो तेरे ह्रदय को...
धड़कता सा कर दे...
तो तेरे लिए उसका...
दिल संग धडके...

जो आखों में कोई...
है तारे सा चमके...
वो वर्ष आठ (२००८) में...
तेरा रह जाये बनके...

सभी स्वप्न सबके...
ही हो जाएँ पूरे...
किन्ही कारणों से...
रहे जो अधूरे...

ये जीवन कविता...
सरीखा बनायें....
हर एक रंग इसमे...
सब चुनकर लगाएं...

हर इक कार्य सबके ...
हों पूरे सदा ही.....
हर इक आस सबकी...
हो पूरी सदा ही....

कविता से हम...
दिल को दिल से मिलाएं...
नए गीत हम नित....
सदा गुनगुनायें.....

ये "दीपक" कि विनती है...
इश्वर से अब तो....
हर इक पग पे उन्नति...
मिले आप सब को....

सभी के सभी मैं...
दुःख-सुख बाँट पाऊं ...
है जो वादा जो खुद से॥
उसे मैं निभाऊं...

मुझे मित्र माना....
आभारी मैं सबका...
ये मेरी तमन्ना...
बनूँ आप सब सा.....

sabhi ko nav varsh 2008 magalmain ho.....

saadar....

Deepak

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