हम तो खोये हैं उनकी यादों में...
रात दिन अब यूं ही निकलते हैं...
भीड़ में गुम न कहीं हो जाएँ....
अपनी ऊँगली पकड़ के चलते हैं....
दिल से दिल की तो राह होती ....
दिल को दिल की ही चाह होती है...
जब से हंस के तुम हमसे बोली हो...
जाने क्यों लोग हमसे जलते हैं...
दिल ये चाहे की तुम ही मिल जाओ...
मेरे घर चांदनी सी खिल जाओ...
रूप तेरा तो बस हमारा हो....
ये हंसी ख्वाब दिल में पलते हैं....
थोडा दामन जो तुमने लहराया...
देख के चाँद भी है शरमाया....
अपनी हालत बयां करें क्या हम...
हम तो बस मोम से पिघलते हैं....
तेरे चेहरे पे जो हंसी देखी...
तेरे दिल की है वो ख़ुशी देखी...
हम तो मदहोश से हुए "दीपक".....
रात भर करवटें बदलते हैं.....
तुझको भूलूं कभी ये बात आयी....
बिना मौसम के है बरसात आयी ...
अब तो रोके भी नहीं रुकते हैं...
अश्क खुद आप ही छलकते हैं .....
हम तो काबिल नहीं हैं तेरे पर....
जाने क्यों चाहते हैं तुझको ही...
ये भी बेबसी सी है मेरी.....
हम तो खुद आप ही को छलते हैं....
अब तो सावन का नूर फैला है...
फूल खिलते हैं दिल की बगिया में....
ये "मोहब्बत" है ख़ुशी का आलम....
अब तो मौसम यूं ही बदलते हैं......
सा-आदर....
दीपक
10 comments:
bahut khoob deepak ji
bahut deeply likha hai
mujhe to pata hi nahi tha aap itna sunder likhte hai DeepakG
बेहतरीन रचना दिल को छु गई !
बहुत लाजबाब प्रस्तुति !
बधाई !
बेहतरीन।
सादर
वाह ...बहुत ही बढि़या।
bahut hi sundar rachana hai....
बांधती सी रचना...
सादर...
दिल को छूती रचना
'दिलसे दिल की तो राह होती ------
ये हंसीं ख्वाब दिल में पलते हैं '
बहुत भावपूर्ण पंक्तियाँ |
आशा
सुन्दर!
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