आज में अपनी एक पुरानी कविता पुनः आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूँ...
आशा है की यह कविता आपको पसंद आएगी...
मैंने तो अब तक....
जहाँ भी है देखा....
तुमको ही पाया...
कहीं भी जो देखा...
फूलों में, बागों में....
शूलों में, काँटों में....
चुप्पी में, बातों में....
तुमको है देखा...
सतरंगी, रंगों में....
मन कि, उमंगों में...
तन कि, तरंगों में...
तुमको है देखा...
कविता के, बोलों में...
सावन के, झूलों में...
तीर्थों के, मेलों में...
तुमको है देखा...
मंदिर में, मूरत में...
खुद अपनी, सूरत में...
अपनी, ज़रूरत में...
तुमको है देखा...
ग़ज़लों के, शेरों में...
अग्नि के, फेरों में...
संझा, सवेरों में...
तुमको है देखा...
नीले गगन, में भी...
महके चमन, में भी...
बहती पवन, में भी...
तुमको है देखा...
सर्दी कि, रातों में...
अनकही, बातों में...
अपने ही, हाथों में...
तुमको है देखा...
बल खाती, नदियों में...
खिलती सी, कलियों में...
युग में भी, सदियों में....
तुमको है देखा...
रचना के, भावों में...
अपनी, निगाहों में...
ठंडी सी, आहों में...
तुमको है देखा...
तुम हो, मेरे मन में...
तुम ही, मेरे तन में...
जीवन के, उपवन में....
तुमको है देखा...
मैंने तो अब तक....
जहाँ भी है देखा....
तुमको ही पाया...
कहीं भी जो देखा...
आपकी टिप्पणियों/सुझावों की प्रतीक्षा में...
सादर ....
दीपक शुक्ल....
16 comments:
अच्छी बात है ..जिसे देखो ऐसे ही देखना चाहिए हर सू ..बहुत सुन्दर कविता है
@ Shikha ji..
DHANYAWAD..
Aur punaragman pe suswagatam..
DEEPAK..
क्या खूब देखा दीपक जी....बस यही तो नज़र चाहिए.. कण कण में बसा है महबूब ..
@ Mudita ji..
Aapke shabdon ka abhari hun..
DEEPAK..
क्या बात है....वो गाना याद आ गया.."जिधर देखती हूँ उधर तुम ही तुम हो..." पर यहाँ' देखता हूँ' है :)
बहुत सुन्दर भाव...सुन्दर रचना
@Rashmi ji..
Chaliye humari kavita se hi sahi aapko gaana to yaad aaya..gaiye aur gungunaiye..
Dhnyawad ki aapne apna amulya samay nikaala es kavita ko padhne ke liye..
Deepak..
Bahut bhaav bheeni rachana!
बहुत सुन्दर शब्दों में मन के भाव लिखे हैं....हर जगह तू ही तू है....बहुत खूब
यह पुरानी कविता.... बहुत अच्छा लगी.... दिल को छू गई.... शब्दों को बहुत खूबसूरती से पिरोया है....
पहले तो मैं आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हूँ मेरे ब्लॉग पर आने के लिए और टिपण्णी देने के लिए!
बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने शानदार रचना लिखा है जो प्रशंग्सनीय है! बधाई!
बहुत खूब ....!!
इतने चाहने वाले लोग नसीबों से मिलते हैं .....!!
Hi..
@ Kshama ji,
@ Sangita di,
@ Mahfooj Bhai,
@ Urmi ji,
@ Harkeerat ji,
Aap sab ka abhari hun ki aapne meri rachna ko padhkar mera utsaah vardhan kiya hai..
Dhanyawad..
DEEPAK..
इस कविता पर ये गीत याद आ गया..'जहाँ देखूं तेरी तस्वीर नज़र आती है!'
बहुत खूबसूरत भाव कविता.
Hi.. @ Alpana ji..
Thanks for ur precious words..
DEEPAK..
wah.........bahut hi sundar ...........bhav achche bhare hain..........jahan dekhoon teri tasveer nazar aati hai.........yahi kah sakti hun is kavita ke liye.
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