नमस्कार मित्रो...
आज मैं आपको अपनी एक रचना सुनाता हूँ जोकि आशा है कि आपको पसंद आएगी।
इसमे मैंने एक अच्छा लड़का बनने के लिए क्या क्या जतन किये, किन किन acid टेस्ट्स से गुज़रा उनका ब्यौरा संजोया है पर जब से मेरी "कविता" से मुहब्बत हुई,मेरी दुनिया ही बदल गयी है, अब अच्छा लड़का बनने के लिए मुझे वो पापड़ नहीं बेलने पड़ते बल्कि लोग मुझे स्वतः ही अच्छा और सच्चा मानने लगे हैं....आखिर मुहब्बत में शक्ति होती है न। और हाँ ये कोई "मिस कविता" नहीं हैं बल्कि ये वो "कविता" है जो आपके और मेरे अंतर्मन में बसी हुई है...
इसमे मैंने एक अच्छा लड़का बनने के लिए क्या क्या जतन किये, किन किन acid टेस्ट्स से गुज़रा उनका ब्यौरा संजोया है पर जब से मेरी "कविता" से मुहब्बत हुई,मेरी दुनिया ही बदल गयी है, अब अच्छा लड़का बनने के लिए मुझे वो पापड़ नहीं बेलने पड़ते बल्कि लोग मुझे स्वतः ही अच्छा और सच्चा मानने लगे हैं....आखिर मुहब्बत में शक्ति होती है न। और हाँ ये कोई "मिस कविता" नहीं हैं बल्कि ये वो "कविता" है जो आपके और मेरे अंतर्मन में बसी हुई है...
तो लीजिये प्रस्तुत है...... "अच्छा लड़का"
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बचपन से ही मात पिता की...
ने हर इच्छा को माना...
कभी फेल न हुआ हूँ में तो...
सबने अच्छा लड़का माना...
सबने सच्चा लड़का माना...
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बचपन से ही मात पिता की...
ने हर इच्छा को माना...
कभी फेल न हुआ हूँ में तो...
सबने अच्छा लड़का माना...
सबने सच्चा लड़का माना...
कालेज में गुट-बाज़ी के न...
चक्कर में मैं कभी भी आया...
गुरु-आज्ञा सर्वोपरि समझी...
सब गुरुओं ने गले लगाया॥
उनके पीछे घूम घूम के...
मैंने गूढ़ विषय को जाना...
सबने अच्छा लड़का माना...
चक्कर में मैं कभी भी आया...
गुरु-आज्ञा सर्वोपरि समझी...
सब गुरुओं ने गले लगाया॥
उनके पीछे घूम घूम के...
मैंने गूढ़ विषय को जाना...
सबने अच्छा लड़का माना...
सबने सच्चा लड़का माना...
सहपाठिन चाहे कितना भी...
सजकर मेरे सम्मुख आयीं...
नज़र बचाकर निकला हूँ मैं...
नज़र पड़ी तो वे शर्मायीं...
कभी न उनसे बोल मैं पाया...
कभी न सीखा बात बनाना...
सबने अच्छा लड़का माना...
सजकर मेरे सम्मुख आयीं...
नज़र बचाकर निकला हूँ मैं...
नज़र पड़ी तो वे शर्मायीं...
कभी न उनसे बोल मैं पाया...
कभी न सीखा बात बनाना...
सबने अच्छा लड़का माना...
सबने सच्चा लड़का माना...
कॉलेज में हुडदंग किया न...
लाइब्रेरी में शोर किया...
कभी किसी सहपाठी को न...
गप्प सुना कर बोर किया...
कक्षा में भी चुप ही बैठा...
कभी न गया कोई गाना....
सबने अच्छा लड़का माना...
सबने सच्चा लड़का माना...
लाइब्रेरी में शोर किया...
कभी किसी सहपाठी को न...
गप्प सुना कर बोर किया...
कक्षा में भी चुप ही बैठा...
कभी न गया कोई गाना....
सबने अच्छा लड़का माना...
सबने सच्चा लड़का माना...
जॉब मिला तो बॉस मिला है...
फिर लोगों का साथ मिला है...
इनमे से कुछ पान चबाते...
सिगरेटे भी हैं कुछ सुलगाते...
उनके संग भी रहकर मैंने...
न चाह कुछ भी अपनाना...
सबने अच्छा लड़का माना...
सबने सच्चा लड़का माना...
फिर लोगों का साथ मिला है...
इनमे से कुछ पान चबाते...
सिगरेटे भी हैं कुछ सुलगाते...
उनके संग भी रहकर मैंने...
न चाह कुछ भी अपनाना...
सबने अच्छा लड़का माना...
सबने सच्चा लड़का माना...
मैडम ऑफिस की कितनी ही...
सेल पर बातें करती रहतीं...
अपनी आँखों को मटका कर...
सबसे ही वो हंसतीं रहतीं...
उनकी हर अदा पे मैंने...
सीखा है तो बस मुस्काना...
सबने अच्छा लड़का माना...
सबने सच्चा लड़का माना...
सेल पर बातें करती रहतीं...
अपनी आँखों को मटका कर...
सबसे ही वो हंसतीं रहतीं...
उनकी हर अदा पे मैंने...
सीखा है तो बस मुस्काना...
सबने अच्छा लड़का माना...
सबने सच्चा लड़का माना...
"कविता" से जब प्रेम किया है...
"कविता" ने भी प्रेम दिया है...
दिल की बात को कहना सीखा...
कभी कभी चुप रहना सीखा...
सबके सुख से मैं आनंदित...
दूजे का दुःख मैंने जाना...
सबने अच्छा लड़का माना...
सबने सच्चा लड़का माना...
"कविता" ने भी प्रेम दिया है...
दिल की बात को कहना सीखा...
कभी कभी चुप रहना सीखा...
सबके सुख से मैं आनंदित...
दूजे का दुःख मैंने जाना...
सबने अच्छा लड़का माना...
सबने सच्चा लड़का माना...
दीपक शुक्ल...
आपके सुझावों/मार्गदर्शन/टिप्पणियों की प्रतीक्षा में...
दीपक शुक्ल...
65 comments:
बहुत सुन्दर्।
.
आप वास्तव में बहुत अच्छे हैं।
सुन्दर रचना ।
.
bahut badhiyaa
मैडम ऑफिस की कितनी ही...
सेल पर बातें करती रहतीं...
अपनी आँखों को मटका कर...
सबसे ही वो हंसतीं रहतीं...
उनकी हर अदा पे मैंने...
सीखा है तो बस मुस्काना.
बहुत सच्ची बयानबाजी है....:):) खूबसूरत रचना
मैडम ऑफिस की कितनी ही...
सेल पर बातें करती रहतीं...
अपनी आँखों को मटका कर...
सबसे ही वो हंसतीं रहतीं...
उनकी हर अदा पे मैंने...
सीखा है तो बस मुस्काना.
good one
मैडम ऑफिस की कितनी ही...
सेल पर बातें करती रहतीं...
अपनी आँखों को मटका कर...
सबसे ही वो हंसतीं रहतीं...
उनकी हर अदा पे मैंने...
सीखा है तो बस मुस्काना...
सबने अच्छा लड़का माना...
सबने सच्चा लड़का माना...
ha...ha...ha...bahut khoob .....!!
सुन्दर कविता...वैसे ,अब परिभाषा बदल गयी है...
ऐसे लड़कों को अच्छा लड़का नहीं कहते अब...
आप तो काव्य विधा के पहुचे हुए गुरु हो रहे हैं मामाश्री ...उत्कृष्ट कोटि की इस रचना के लिए आप वाकई तारीफ़ के हक़दार हैं | भविष्य में भी अपने रचनाओ से अवगत करते रहये |
आपने अपने ब्लॉग के नाम को वास्तव में जीवित कर दिखाया है...ईश्वर आपको और भी अच्छा लिखने की प्रेरणा दे ऐसी कामना है |
नोट : ये PRERNA और कामना भी कोई मिस नहीं हैं....ये भी आपकी KAVITA के सन्दर्भ में ही हैं.हा हा हा
आपकाअपनाअनुज
achchha pryaas...
maulik rachna..likhte rahiye..meri shubhkaamnaayen aapke sath...anna...
ये अच्छा लड़का तो वाकई अच्छा निकला
'सबके सुख से मैं आनंदित...
दूजे का दुःख मैंने जाना...'
यही तो अच्छे इंसान होने के गुण हैं.
अब इस में कोई भी अवगुण नहीं बचा है ,सारे ही गुण गिना दिए.बहुत बढ़िया कविता लिखी है .बस इसी 'मिस कविता' को अंतर्मन बसाये रखीये कभी 'मिस हताशा' से सामना नहीं कर पड़ेगा.
अच्छा लगा जानकर आपको और आपकी कविता के बारे में... कोई शक नहीं कि आप अच्छे व्यक्ति हैं..
अच्छी रचना माना
अच्छी रचना माना
अच्छी रचना माना
अच्छी रचना माना
अच्छी रचना माना
अच्छी रचना माना
"कविता" से जब प्रेम किया है...
"कविता" ने भी प्रेम दिया है...
दिल की बात को कहना सीखा...
कभी कभी चुप रहना सीखा...
सबके सुख से मैं आनंदित...
दूजे का दुःख मैंने जाना...
सच्चे और अच्छे उदगार
बहुत सुन्दर रचना ।
अच्छे लड़के सी अच्छे रचना ...शुभकामनाये.
वाह ! क्या बात है !
हम भी मान गए !
aapne wo sab kuch nahi kiya jo aajkal ke naujawaa karte hain isiliye to sabne aapko accha ladka maana. hamesha muskuraate rahiye aur khushiyaan baatte rahiye aur ha apni kavitao se hume aanandit karte rahiye. bahut sundar kavita.
सरलता यहाँ देखते ही बनती. वाह दीपक! मैं तो चित हो गया हूँ.
धन्यवाद.
ए एन नन्द
http://ramblingnanda.blogspot.com
शुक्ला जी, नमस्ते!
आप तो निकले वाकई में अच्छे!
और जो दिल में आया, पिरो दिया कविता में!
आदमी लगते हैं आप दिल के भी सच्चे!
सुन्दर कविता...वैसे ,अब परिभाषा बदल गयी है...
ऐसे लड़कों को अच्छा लड़का नहीं कहते अब...
ये तो आप बहुत अच्छे लड़के हैं...:)
बढ़िया रचना.
vah ji kya khoob bayan kiya hai ..achha ladka maana....
vah ji kya khoob bayan kiya hai ..achha ladka maana....
दीपक जी
आप मेरे ब्लॉग पर आये अच्छा लगा ...।सचमुच हमारा हिमाचल बहुत सुन्दर और शांत है परंतु सुन्दरता देखने वालों की नजरों में होती है.....
आपकी रचना बहुत अच्छी लगी आप अच्छे लड़के ही नही अच्छे कवि भी हैं .
"कविता" से जब प्रेम किया है...
"कविता" ने भी प्रेम दिया है...
दिल की बात को कहना सीखा...
कभी कभी चुप रहना सीखा...
बढ़िया रचना !!!!
आपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया! कमाल की पंक्तियाँ लिखा है आपने और चार चाँद लगा दिया!
आपने बहुत सुन्दर रचना लिखा है जो काबिले तारीफ़ है! बहुत बढ़िया लगा! उम्दा प्रस्तुती!
दीपक जी
बड़ी मशक्कत की आपने अच्छा लड़का बनने के लिए.. :) ..पर फल भी बहुत अच्छा मिला.. सबने अच्छा लड़का माना :)
"कविता" से जब प्रेम किया है...
"कविता" ने भी प्रेम दिया है...
दिल की बात को कहना सीखा...
कभी कभी चुप रहना सीखा...
सबके सुख से मैं आनंदित...
दूजे का दुःख मैंने जाना...
सबने अच्छा लड़का माना...
सबने सच्चा लड़का माना...
और ये पंक्तियाँ एक संवेदनशील हृदय को दर्शाती हैं जिसे अच्छा लड़का बनने के लिए कोई प्रयत्न नहीं करना पड़ता
बहुत शुभकामनाएं
अच्छी प्रस्तुति!
are itne gundharee hai to mananaa hee padega sabheeko .........
mazedar ....abhivykti.......
adbhut sunder rachna :)
http://liberalflorence.blogspot.com/
"कविता" से जब प्रेम किया है...
"कविता" ने भी प्रेम दिया है...
दिल की बात को कहना सीखा...
कभी कभी चुप रहना सीखा...
सबके सुख से मैं आनंदित...
दूजे का दुःख मैंने जाना...
सबने अच्छा लड़का माना...
सबने सच्चा लड़का माना...
....bahut sundar manobhao piroye hai aapne apne rachna mein..
Bahut shubhkamnayne
deepak ji, pahali bar aapke blog par aai hun.aapki rachna padh kar laga ki aap vastav me dil ke bahut hi achhe hain.aage bhi aapki rachnao ka intajaar rahega.
poonam
मैडम ऑफिस की कितनी ही...
सेल पर बातें करती रहतीं...
अपनी आँखों को मटका कर...
सबसे ही वो हंसतीं रहतीं...
उनकी हर अदा पे मैंने...
सीखा है तो बस मुस्काना...
सबने अच्छा लड़का माना...
सबने सच्चा लड़का माना...
waah waah, kya baat !!!
वाह बिरादर आप तो बड़े ही अच्छे लड़के निकले...क्या बात है कहीं नहीं फंसे, कहीं नहीं उलझे....मान गए आपको
वैसे पिछली कविता.. वो भोली लड़की में इतना ध्यान देकर किसने भावप्रण कविता लिखी है.....???????
ये भी बता दीजिए...
बहुत सुंदर जी
मित्रता दिवस की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनाएँ!
aapne meri kavita ko saraha iske liye aapka bahut shukriya,aapki khubsurat kavita rupi tippani ke liye ek baar phir shukriya.
deepak ji,
aapmere blog par aaye aur apni kavitao ke dwara mera samarthan kiya iske liye dil se aapko badhai deti hun.
wakqai manana padega aap
sach me ek achhe insaan hain.
punah dhanyvaad.
poonam
bahut hi umda...
very nice..
Pls Visit My Blog and Share ur Comments....
http://bannedarea.blogspot.com
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आपकी प्यारी सी कविता का जवाब नहीं! बहुत अच्छा लगता है जब भी आपकी टिपण्णी मिलती है! इसी तरह से मेरे ब्लॉग पर आते रहिएगा! मैंने आज नया कविता पोस्ट किया है देखिएगा वक़्त मिलने से! आपके नए पोस्ट का इंतज़ार रहेगा!
Aap ab to achhe 'ladke'se ache aadmi ban gaye hain!Maza aa gaya padhke!
Aapki tippaniyan zaroor padhti hun aur wo yaadbhi rahti hain!
Mai aapki follower hun,lekin mujhe ittela milni na jane kyon band ho gayi! Aaj maine dobara 'follow the blog'cklick kiya!
bahut sudar saral kavitaa ...
आप सभी महानुभावों का मैं तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ जिनके प्यार, सहयोग और मार्गदर्शन से मुझे कविता लिखने की प्रेरणा मिलती है....आगे भी मैं कोशिश करूँगा अच्छा और सार्थक लेखन लिखने के लिए सदा प्रयत्नशील रहूँ....
आप सबका बहुत बहुत धन्यवाद....
दीपक...
Very nice
deepak ji.. :) vakai sabit kar diya aapne ...he hehe..too gud..keep going!
सबने अच्छा लड़का माना...
सबने सच्चा लड़का माना...
vastaw me sabne apko achchha ladaka mana
सहपाठिन चाहे कितना भी...
सजकर मेरे सम्मुख आयीं...
नज़र बचाकर निकला हूँ मैं...
नज़र पड़ी तो वे शर्मायीं...
कभी न उनसे बोल मैं पाया...
कभी न सीखा बात बनाना...
सबने अच्छा लड़का माना...
ahahahahh mast hai sir!!!....aur jo achcha ladka banne ke liye kaha gaya vo bhi yatharth hai......
'कविता' जी अब खुश जाएँ
'कविता' की कविता कह पाए
'कविता' का अब साथ निभाना
हो अच्छे बच्चे सब जग जाना
हा हा हा हा...
रचना प्रशंसनीय ।
कल तक तो थे अच्छे लड़के, आज बन गए ब्लॉगर
मैने अच्छा ब्लॉगर माना, मैने अच्छा ब्लॉगर माना
सुन्दर शब्दों की बेहतरीन शैली
भावाव्यक्ति का अनूठा अन्दाज
बेहतरीन एवं प्रशंसनीय प्रस्तुति
हिन्दी को ऐसे ही सृजन की उम्मीद
धन्यवाद....साधुवाद..साधुवाद
satguru-satykikhoj.blogspot.com
सुन्दर कविता...वैसे ,अब परिभाषा बदल गयी है...
बहुत सुन्दर रचना
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स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ !
स्वाधीनता दिवस पर हार्दिक शुभकामानाएं.
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अच्छा लड़का है ....
लड़का अच्छा है .....
दीपक ज्योति है ....
ज्योति दीपक है ....
रचना वही है ....
वही रचना है .....
अब ये लड़का कब तक सर झुकाए बैठा रहेगा .....?
bahut shandaar! ati sundar!
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bahu achcha likha hai aapne .. khubsurat aur halki fulki.. padhte hi chehre par muskaan aa gayi.
very good.
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